Ashtavakra Mahageeta Bhag- VIII Sukh Swabhav (अष्टावक्र महागी&#234 (en Hindi)

Osho · Diamond Books

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Reseña del libro

अष्टावक्र के ये सूत्र अंतर्यात्रा के बड़े गहरे पड़ाव-स्थल हैं। एक-एक सूत्र को खूब ध्यान से समझना।ये बातें ऐसी नहीं कि तुम बस सुन लो, कि बस ऐसे ही सुन लो। ये बातें ऐसी हैं कि सुनोगे तो ही सुना। ये बातें ऐसी हैं कि ध्यान में उतरेंगी, अकेले कान में नहीं, तो ही पहुंचेंगी तुम तक। तो बहुत मौन से, बहुत ध्यान से...।इन बातों में कुछ मनोरंजन नहीं है। ये बातें उन्हीं के लिए हैं जो जान गए कि मनोरंजन मूढ़ता है। ये बातें उनके लिए हैं जो प्रौढ़ हो गए हैं। जिनका बचपना गया; अब जो घर नहीं बनाते हैं; अब जो खेल-खिलौना नहीं सजाते; अब जो गड्डा-गुड्डियों का विवाह नहीं रचाते; अब जिन्हें एक बात की जाग आ गई है कि कुछ करना है-कुछ ऐसा आत्यन्तिक कि अपने से परिचित हो जाएं। अपने से परिचय हो तो चिंता मिटे। अपने से परिचय हो तो दूसरा किनारा मिले। अपने से परिचय हो तो सबसे परिचय होने का द्वार खुल जाए।हरि ओम् तत् सत्

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