Patanjali Yoga Sootra (Hindi Edition) (en Hindi)

Vivekananda, Swami · Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.

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Reseña del libro

सांख्यदर्शन के अनुसार, ईश्वर का अस्तित्व नहीं है।यह दर्शन कहता है कि जगत्] का कोई ईश्वर नहीं हो सकता, क्योंकि यह वह हो तो अवश्य वह एक आत्मा ही होनी चाहिए और आत्मा या तो बद्ध होगी या मुक्त। जो आत्मा प्रकृति के अधीन है, प्रकृति ने जिस पर अपना आधिपत्य जमा लिया है, वह भला कैसे सृष्टि कर सकेगी ? वह तो स्वयं एक दास है। दूसरी ओर, यदि आत्मा मुक्त हो, तो वह क्यों इस जगतू-प्रपंच की रचना करेगी, क्यों इस पूरे संसार की क्रिया आदि का संचालन करेगी? स्वामी विवेकानंद का विश्वास था कि पवित्र भारतवर्ष धर्म एवं दर्शन की पुण्यभूमि है। यहीं बड़े-बड़े महात्माओं तथा ऋषियों का जन्म हुआ, यही संन्यास एवं त्याग की भूमि है तथा यहीं, केवल यहीं आदिकाल से लेकर आज तक मनुष्य के लिए जीवन के सर्वोच्च आदर्श एवं मुक्ति का द्वार खुला हुआ है। प्रस्तुत पुस्तक ' पतंजलि योग सूत्र ' में स्वामीजी ने सरलतम व्याख्या के साथ पतंजलि के योग दर्शन को पाठकों के सामने रखा है, ताकि एक सामान्य अभ्यासकर्ता भी इसका पूरा लाभ उठा सके। इस दृष्टि से यह उनकी एक श्रेष्ठतम कृति कही जा सकती है।

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