Sadak ki Laya (en Hindi)

Susham Bedi · Prabhat Prakashan Pvt Ltd

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Reseña del libro

''आप सचमुच जानना चाहती हैं?'' मैं उसकी आँखों में झलकती दर्द की परछाइयों के बीच कुछ खोज रही थी। ''कहीं आपकी हमदर्दी कम तो न हो जाएगी! मेरा बेटा था वह।'' ''ओह? अच्छा। तो...?'' ''अफ्रीकी-अमेरिकन से शादी की थी। मेरे साथ कॉलेज में थी। बहुत प्यार था हमारा। हमारे प्यार की संतान था वह!'' निःशब्द थी मैं। ''कैसे सहा होगा दोनों ने। एक मात्र संतान को इस तरह खो देना। एक बेकसूर, निर्दोष बच्चे का पुलिस के हाथों बलि चढ़ जाना!'' ''अफसोस है मुझे। इतना कुछ घट गया आपके साथ, और आपकी पत्नी! ''हाँ मेरी पत्नी!'' उसने भरे गले से आह भरी। लगा अभी फूट पड़ेगा। उसे अपना दर्द सँभालना बेहद मुश्किल हो रहा था। ''वह...वह...'' और उससे आगे उसके मुख से कोई शब्द नहीं निकला। वह खामोश जमीन पर आँख गड़ाए बैठा रहा। मेरी हिम्मत नहीं पड़ी कि उससे आगे कोई सवाल पूछूँ। ''पगला गई थी वह!'' -इसी संग्रह से मानवीय संवेदना और सरोकारों से सराबोर ये पठनीय कहानियाँ पाठक के मन-मस्तिष्क को छू लेंगी।

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