Reseña del libro "Samay Ka Sach (en Hindi)"
राजनीतिशास्त्र से स्नातक श्री आर.के. सिन्हा ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की। सन् 1966 से 70 तक 'हिंदुस्थान समाचार' और सन् 1970 से 1974 तक 'सर्चलाइट' व 'प्रदीप' में कार्यालय-संवाददाता का कार्य किया। सन् 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में युद्ध-संवाददाता की भूमिका निभाई। इस दौरान पाक सैनिकों द्वारा बंदी भी बनाए गए और बाद में किसी तरह भाग निकले। सन् 1974-75 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन में भाग लिया और 'जन आंदोलन' पर पहली पुस्तक लिखी। उन्होंने सन् 1974 में 'सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज इंडिया' (एस.आई.एस.) की स्थापना की। एक निजी सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने अमेरिका, त्रिनिदाद एवं टोबैगो, जापान, इंग्लैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, इटली, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, मॉरीशस, सिंगापुर, हांगकांग, फिलिपींस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, बर्मा, बँगलादेश, भूटान, टर्की, नेपाल, चीन सहित कई अरब देशों का भ्रमण किया। अनेक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। सुरक्षा विषयक सात महत्त्वपूर्ण पुस्तकें प्रकाशित। अंग्रेजी में 'Me and My Guru' & 'By the Way' एवं हिंदी में 'महामानव मृत्युंजय', 'बेलाग लपेट' तथा 'समय का सच' मुख्य